Written by 6:24 am Banking

Repo Rate Unchanged at 5.5% by RBI Amid Growing Trump Tariff Tensions

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भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताज़ा मौद्रिक नीति समीक्षा में Repo Rate को 5.5% पर स्थिर रखने का फैसला किया है। यह निर्णय ऐसे समय में आया है जब वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता बढ़ रही है, खासकर अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारत पर आयात शुल्क बढ़ाने की चेतावनी के बाद।

इस बयान के बाद भारतीय रुपये की कीमत में 16 पैसे की गिरावट दर्ज की गई, जिससे बाजार में तनाव देखा गया। ऐसे में RBI ने सतर्क रुख अपनाते हुए दरों को यथावत रखने का निर्णय लिया।

Repo Rate क्या होता है और इसका क्या मतलब है?

Repo Rate वह ब्याज दर होती है जिस पर RBI देश के बैंकों को उधार देता है। यह दर भारतीय अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करने का एक महत्वपूर्ण टूल है।

  • यदि Repo Rate बढ़ती है, तो बैंक लोन महंगे कर देते हैं और आपकी EMI भी बढ़ सकती है।
  • अगर Repo Rate घटती है, तो लोन सस्ते हो जाते हैं जिससे खर्च और निवेश में बढ़ोतरी हो सकती है।

इस समय RBI ने Repo Rate को 5.5% पर स्थिर रखा है, जो यह दर्शाता है कि वह स्थिति को और स्पष्ट होते देखना चाहता है।

ट्रंप के बयान से RBI क्यों सतर्क हो गया?

हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर “अनुचित व्यापार व्यवहार” का आरोप लगाते हुए भारतीय वस्तुओं पर आयात शुल्क बढ़ाने की चेतावनी दी। इस बयान से वैश्विक व्यापारिक माहौल में तनाव पैदा हुआ और भारतीय रुपये की कीमत में गिरावट आई।

अगर RBI अभी Repo Rate में कटौती करता, तो रुपया और कमजोर हो सकता था, जिससे आयात महंगे हो जाते और महंगाई में तेजी आ सकती थी। इसे ध्यान में रखते हुए RBI ने दरों में कोई बदलाव नहीं किया।

लोन और EMI में कोई राहत नहीं

इस फैसले का सीधा असर उन लोगों पर पड़ता है जो होम लोन, पर्सनल लोन या कार लोन ले रहे हैं।

  • EMI फिलहाल पहले जैसी ही बनी रहेगी।
  • बैंक ब्याज दरों में बदलाव नहीं करेंगे जब तक RBI दरें नहीं घटाता।
  • नए लोन लेने वालों को भी ज्यादा राहत नहीं मिलेगी।

RBI इस बार आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है, न कि लोगों को तात्कालिक राहत देने पर फोकस कर रहा है।

Stock Market पर कैसा रहा असर?

Stock Market ने RBI के इस फैसले पर मिली-जुली प्रतिक्रिया दी। कुछ निवेशकों को उम्मीद थी कि RBI ब्याज दरें घटाएगा जिससे बाजार को बल मिलेगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।

  • ऑटो, रियल एस्टेट और बैंकिंग सेक्टर पर इसका सीधा असर पड़ा क्योंकि ये सेक्टर सस्ती ब्याज दरों से प्रभावित होते हैं।
  • Share Market भी स्थिर रहा, लेकिन निवेशकों ने सतर्कता बरती।

इससे यह साफ है कि बाजार अब RBI की अगली रणनीति और वैश्विक घटनाओं पर नजर बनाए रखेगा।

आयात महंगे, महंगाई पर नजर

डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत गिरने से कच्चा तेल, इलेक्ट्रॉनिक्स और मशीनरी जैसी आयात की जाने वाली वस्तुएं महंगी हो सकती हैं। इससे देश में महंगाई बढ़ने का खतरा है।

RBI ने Repo Rate को स्थिर रखकर यह संदेश दिया है कि वह मूल्य स्थिरता बनाए रखना चाहता है, जिससे आम लोगों पर महंगाई का बोझ न बढ़े।

निर्यातकों के लिए बढ़ीं मुश्किलें

भारत अमेरिका को टेक्सटाइल, दवाइयाँ, रत्न, जेम्स और सॉफ्टवेयर जैसे उत्पाद निर्यात करता है। अगर ट्रंप ने सच में टैरिफ बढ़ा दिए, तो:

  • भारतीय कंपनियों की कमाई घट सकती है
  • निर्यात सेक्टर में नौकरियों पर असर पड़ सकता है
  • Share Market में विदेशी निवेश घट सकता है

RBI इस स्थिति पर नजर बनाए हुए है और अगली नीति में यह बड़ा फैक्टर हो सकता है।

विशेषज्ञों की राय: RBI का फैसला समझदारी भरा

अर्थशास्त्रियों और बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि RBI ने सही समय पर एक संतुलित निर्णय लिया है।

  • ग्लोबल जोखिम जैसे व्यापार युद्ध, तेल की बढ़ती कीमतें, और मंदी के संकेतों को देखते हुए RBI का सतर्क रहना सही है।
  • रुपये पर दबाव को कम करने के लिए Repo Rate को स्थिर रखना जरूरी था।
  • Stock Market और Share Market को स्थिर बनाए रखने के लिए यह निर्णय अहम है।

आम जनता पर असर

RBI के इस फैसले का सीधा असर आम लोगों पर पड़ता है:

  • लोन पर कोई फर्क नहीं – EMI में कोई कमी नहीं होगी।
  • निवेशकों को धैर्य रखना होगा – बाजार स्थिर रह सकता है लेकिन लॉन्ग टर्म निवेश को नुकसान नहीं होगा।
  • महंगाई पर नजर रखनी होगी – अगर रुपया और कमजोर हुआ तो रोजमर्रा की चीजें महंगी हो सकती हैं।

आगे क्या?

RBI आने वाले महीनों में मुद्रास्फीति, डॉलर-रुपया रेट और वैश्विक व्यापार की स्थितियों पर नजर रखेगा।

अगर स्थिति बेहतर रही और महंगाई काबू में रही, तो RBI अगली मीटिंग में Repo Rate में कटौती कर सकता है। लेकिन अगर टैरिफ लागू हो गए और रुपये में और गिरावट आई, तो दरों को स्थिर या और ऊंचा भी रखा जा सकता है।

निष्कर्ष

RBI का यह फैसला कि Repo Rate को 5.5% पर बनाए रखा जाए, यह दिखाता है कि वह आर्थिक स्थिरता को प्राथमिकता दे रहा है।

हालांकि कुछ लोग सस्ती ब्याज दरों की उम्मीद कर रहे थे, लेकिन वर्तमान में महंगाई और वैश्विक व्यापार तनाव को देखते हुए यह निर्णय जरूरी था।

अब सभी की नजर RBI की अगली नीति बैठक और वैश्विक घटनाओं पर रहेगी। तब तक के लिए RBI का यह संतुलन भरा कदम Indian Economy को स्थिरता देने का काम करेगा — और इसके असर Stock Market, Share Market, और आम लोगों की जेब पर भी साफ नजर आएंगे।