आज के समय में म्यूचुअल फंड निवेश करने का एक आसान और लोकप्रिय तरीका बन गया है। SIP (Systematic Investment Plan) के ज़रिए अब आम लोग भी स्टॉक मार्केट में निवेश कर रहे हैं और धीरे-धीरे धन बना रहे हैं।
लेकिन जब कोई नया निवेशक शुरुआत करता है, तो उसके सामने सबसे पहला सवाल आता है:
डायरेक्ट प्लान लें या रेगुलर प्लान?
अगर आप निवेश की शुरुआत कर रहे हैं या पहले से म्यूचुअल फंड में निवेश कर चुके हैं, तो यह अंतर जानना बहुत ज़रूरी है। सही चुनाव करने से आपके रिटर्न्स पर बहुत बड़ा असर पड़ता है।
डायरेक्ट और रेगुलर म्यूचुअल फंड प्लान क्या होते हैं?
हर म्यूचुअल फंड स्कीम दो तरीकों से पेश की जाती है:
✅ डायरेक्ट म्यूचुअल फंड प्लान
- इसमें आप सीधे AMC (Asset Management Company) की वेबसाइट या मोबाइल ऐप के माध्यम से निवेश करते हैं।
- कोई बिचौलिया नहीं होता, इसलिए कोई कमीशन नहीं कटता।
- इसका एक्सपेंस रेशियो (Expense Ratio) कम होता है।
- NAV (Net Asset Value) रेगुलर प्लान से ज़्यादा होता है।
- यह उन लोगों के लिए है जो खुद रिसर्च करके निवेश कर सकते हैं।
✅ रेगुलर म्यूचुअल फंड प्लान
- इसमें आप किसी एजेंट, डिस्ट्रीब्यूटर या सलाहकार के ज़रिए निवेश करते हैं।
- इसमें कमीशन शामिल होता है, जो एक्सपेंस रेशियो में जुड़ा होता है।
- NAV डायरेक्ट प्लान से थोड़ा कम होता है।
- यह उन लोगों के लिए है जिन्हें गाइडेंस की ज़रूरत होती है।
मुख्य अंतर: डायरेक्ट बनाम रेगुलर प्लान
विशेषता | डायरेक्ट प्लान | रेगुलर प्लान |
निवेश का तरीका | सीधे AMC से | एजेंट/प्लेटफॉर्म के माध्यम से |
एक्सपेंस रेशियो | कम | ज़्यादा |
NAV | ज़्यादा | कम |
कमीशन | नहीं | हाँ (छुपा हुआ) |
मार्गदर्शन | खुद करना होता है | एजेंट/सलाहकार देता है |
रिटर्न | ज़्यादा | थोड़ा कम |
एक्सपेंस रेशियो का रिटर्न पर असर
डायरेक्ट और रेगुलर प्लान का सबसे बड़ा अंतर होता है – एक्सपेंस रेशियो।
अगर आप लंबे समय के लिए निवेश कर रहे हैं, तो 1% का फर्क भी लाखों में बदल सकता है।
उदाहरण:
- मान लीजिए आप ₹5,00,000 20 साल के लिए निवेश करते हैं:
- डायरेक्ट प्लान में रिटर्न: 12% (1% एक्सपेंस रेशियो)
- रेगुलर प्लान में रिटर्न: 11% (2% एक्सपेंस रेशियो)
- 20 साल बाद:
- डायरेक्ट प्लान वैल्यू: ₹48.6 लाख
- रेगुलर प्लान वैल्यू: ₹37.1 लाख
- डायरेक्ट प्लान वैल्यू: ₹48.6 लाख
- डायरेक्ट प्लान में रिटर्न: 12% (1% एक्सपेंस रेशियो)
₹11.5 लाख का फर्क – सिर्फ प्लान बदलने से!
डायरेक्ट प्लान कब चुनें?
डायरेक्ट प्लान आपके लिए सही है अगर:
- आपको म्यूचुअल फंड की थोड़ी जानकारी है।
- आप खुद रिसर्च कर सकते हैं।
- आपको किसी एजेंट की ज़रूरत नहीं है।
- आप Groww, Zerodha Coin, Paytm Money जैसे प्लेटफॉर्म इस्तेमाल करते हैं।
- आप लॉन्ग टर्म में ज़्यादा रिटर्न चाहते हैं।
रेगुलर प्लान कब चुनें?
रेगुलर प्लान आपके लिए तब बेहतर है जब:
- आप निवेश में नए हैं।
- आपको म्यूचुअल फंड की जानकारी नहीं है।
- आप किसी एक्सपर्ट की सलाह लेना चाहते हैं।
- आप पेपरवर्क या पोर्टफोलियो मैनेजमेंट से बचना चाहते हैं।
मेरा व्यक्तिगत अनुभव – जब मैंने रेगुलर से डायरेक्ट प्लान में स्विच किया
मैंने पहली बार 2017 में म्यूचुअल फंड में निवेश शुरू किया। उस समय मुझे ज्यादा जानकारी नहीं थी, इसलिए मैंने अपने बैंक के रिलेशनशिप मैनेजर की मदद ली। उन्होंने जो स्कीम सुझाई, मैं उसी में SIP शुरू कर दी – रेगुलर प्लान में।
3 साल तक मैं रेगुलर प्लान में निवेश करता रहा और मुझे लगा मैं अच्छा कर रहा हूँ।
एक दिन यूट्यूब पर एक वीडियो देखा जिसमें बताया गया कि डायरेक्ट प्लान में निवेश करने से आप ज़्यादा रिटर्न कमा सकते हैं क्योंकि उसमें कोई कमीशन नहीं लगता।
फिर मैंने अपनी स्कीम का डायरेक्ट और रेगुलर प्लान का NAV और रिटर्न कंपेयर किया।
मुझे समझ में आया कि:
- मेरा रिटर्न कम था।
- एक्सपेंस रेशियो ज़्यादा था।
- 3 साल में मैंने ₹25,000 से ₹30,000 तक कम रिटर्न कमाया, सिर्फ इसलिए क्योंकि मैंने रेगुलर प्लान चुना था।
तब मैंने फैसला किया कि अब से मैं सिर्फ डायरेक्ट प्लान में ही निवेश करूंगा।
मैंने Zerodha Coin का अकाउंट खोला और धीरे-धीरे अपनी सारी SIP वहीं शिफ्ट कर दी। शुरुआत में थोड़ा समय लगा, लेकिन अब मैं हर स्कीम खुद समझता हूँ और खुद चुनता हूँ।
आज 4 साल हो गए हैं, और मेरा पोर्टफोलियो पहले से ज़्यादा अच्छा परफॉर्म कर रहा है। हर साल लगभग 1.2% ज़्यादा रिटर्न मिल रहा है, जो लॉन्ग टर्म में लाखों में बदल जाएगा।
कैसे करें रेगुलर से डायरेक्ट में स्विच?
- अपनी मौजूदा स्कीम की जांच करें – कौन-कौन सी रेगुलर में हैं।
- पुरानी SIP बंद करें।
- यूनिट्स को Redeem करें या AMC की वेबसाइट से “Switch” ऑप्शन का इस्तेमाल करें।
- Zerodha Coin, Groww, या AMC की वेबसाइट पर नया अकाउंट खोलें।
- नई SIP डायरेक्ट प्लान में शुरू करें।
🔔 ELSS फंड्स में 3 साल की लॉक-इन होती है, इसलिए उन्हें Redeem करते समय ध्यान रखें।
डायरेक्ट प्लान के फायदे
- ✅ ज़्यादा रिटर्न (कम खर्च की वजह से)
- ✅ पूरी पारदर्शिता
- ✅ फुल कंट्रोल – कोई बिचौलिया नहीं
- ✅ सीखने का मौका – खुद रिसर्च करते हैं
रेगुलर प्लान के फायदे
- ✅ शुरुआती लोगों के लिए आसान
- ✅ एक्सपर्ट की सलाह मिलती है
- ✅ पोर्टफोलियो मैनेजमेंट में मदद
शुरुआती निवेशक क्या करें?
अगर आप बिल्कुल नए हैं, तो शुरुआत में 6–12 महीने रेगुलर प्लान में SIP करें।
इस बीच म्यूचुअल फंड्स के बारे में सीखें, ब्लॉग पढ़ें, वीडियो देखें।
जब आपको थोड़ा कॉन्फिडेंस हो जाए, तब डायरेक्ट प्लान में स्विच कर लें।
इससे आपका रिटर्न बढ़ेगा और आप खुद अपने पैसे को मैनेज करना सीखेंगे।
म्यूचुअल फंड कंपेर करने के टूल्स (हिंदी/इंग्लिश दोनों में)
- Value Research Online
- Groww
- MoneyControl
- Zerodha Coin
- Kuvera
यह साइट्स आपको डायरेक्ट और रेगुलर प्लान की तुलना करने में मदद करती हैं।
निष्कर्ष: डायरेक्ट बनाम रेगुलर – सही चुनाव क्या है?
आप कौन हैं? | कौन सा प्लान लें? |
खुद रिसर्च कर सकते हैं | डायरेक्ट प्लान |
गाइडेंस चाहिए, नए निवेशक हैं | रेगुलर प्लान |
लॉन्ग टर्म में ज़्यादा रिटर्न चाहते हैं | डायरेक्ट प्लान |
समय नहीं है या समझ कम है | रेगुलर प्लान |
छोटा सा निर्णय, जैसे डायरेक्ट प्लान चुनना – आपके करोड़ों के पोर्टफोलियो पर बड़ा असर डाल सकता है।
अंतिम शब्द
म्यूचुअल फंड एक बेहतरीन निवेश साधन है।
लेकिन सही प्लान चुनकर आप अपने रिटर्न को और बेहतर बना सकते हैं।
मैंने अपनी गलती से सीखा और डायरेक्ट प्लान अपनाया – आप भी सोचिए, समझिए और समझदारी से निर्णय लीजिए।
अगर आप चाहें तो मैं आपकी मौजूदा SIP की समीक्षा करके सलाह दे सकता हूँ या डायरेक्ट प्लान में शिफ्ट करने में मदद कर सकता हूँ।

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