RBI ने किया बड़ा सरप्राइज, रेपो रेट में भारी कटौती
भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अपनी ताज़ा मौद्रिक नीति समिति (MPC) की बैठक में बड़ा कदम उठाते हुए रेपो रेट में 75 बेसिस पॉइंट्स की कटौती की। यह फैसला गवर्नर संजय मल्होत्रा ने डिप्टी गवर्नर्स के साथ प्रेस कॉन्फ्रेंस में घोषित किया। इसका मकसद आर्थिक विकास को रफ्तार देना और कर्ज को सस्ता बनाना है।
रेट कट की अहमियत इस समय क्यों बढ़ गई है
महंगाई नियंत्रण में है और ग्रोथ को सपोर्ट की ज़रूरत है। इसीलिए RBI ने रेपो रेट को घटाकर 5.75% कर दिया। डिप्टी गवर्नर माइकल पात्रा ने कहा कि यह निर्णय “सहायक नीतिगत रुख” के तहत लिया गया है ताकि आर्थिक रिकवरी को समर्थन मिल सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस की मुख्य बातें
- रेपो रेट में 75 bps की कटौती, अब 5.75%
- रिवर्स रेपो रेट घटाकर 3.35%
- नीतिगत रुख: सहायक (Accommodative)
- FY26 में GDP ग्रोथ का अनुमान: 7.2%
- H1 FY26 में CPI महंगाई अनुमान घटकर 4.5%
गवर्नर मल्होत्रा ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता और कमजोर निर्यात मांग के बीच घरेलू सपोर्ट ज़रूरी है। RBI का यह कदम भारत की आर्थिक मजबूती और आत्मविश्वास को दर्शाता है।
शेयर बाजार में तेज़ उछाल, सेंसेक्स और निफ्टी ने किया धमाका
RBI के इस फैसले के बाद बाजार में जबरदस्त उछाल देखा गया। निफ्टी 24,800 के पार और सेंसेक्स 600 अंक ऊपर बंद हुआ। बैंकिंग, ऑटो और रियल एस्टेट जैसे सेक्टर्स में बड़ी तेजी आई। रुपया भी डॉलर के मुकाबले मजबूत हुआ।
वित्तीय जानकारों ने इस फैसले की सराहना की। कोटक सिक्योरिटीज और ICICI डायरेक्ट ने कहा कि इससे क्रेडिट डिमांड बढ़ेगी और इकोनॉमी को बूस्ट मिलेगा।
लोन और सेविंग्स पर क्या असर होगा
ब्याज दरों में कटौती का सीधा फायदा लोन लेने वालों को मिलेगा। बैंक अब होम लोन, पर्सनल लोन और ऑटो लोन पर ब्याज दरें घटा सकते हैं। हालांकि, फिक्स्ड डिपॉजिट पर रिटर्न थोड़ा घट सकता है।
EMI कम होने की उम्मीद है। RBI ने संकेत दिया है कि ज़रूरत पड़ने पर आगे भी कदम उठाए जाएंगे।
यह फैसला क्यों चौंकाने वाला था
ज्यादातर विशेषज्ञों को 25 bps कटौती की उम्मीद थी, लेकिन RBI ने जोरदार और आक्रामक रुख अपनाया। इसके पीछे ये वजहें थीं:
- महंगाई में गिरावट
- निजी निवेश में सुस्ती
- कमजोर वैश्विक मांग
- घरेलू खपत में मजबूती
MPC के सभी सदस्यों ने सर्वसम्मति से इस फैसले पर मुहर लगाई।
गवर्नर संजय मल्होत्रा की पहली बड़ी नीति पहल
यह गवर्नर मल्होत्रा का पहला बड़ा फैसला है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में स्पष्ट और आत्मविश्वास से भरा बयान दिया। उनका फोकस वित्तीय स्थिरता, डिजिटल बैंकिंग और ग्रामीण क्रेडिट को मजबूत करने पर रहा।
उन्होंने NBFC और डिजिटल लेंडिंग पर आने वाले नियमों का भी ज़िक्र किया।
RBI का FY26 आउटलुक क्या कहता है
RBI को उम्मीद है कि FY26 में महंगाई 2-6% के लक्ष्य के भीतर बनी रहेगी। मजबूत रबी फसल और कम होते कमोडिटी प्राइस से मदद मिलेगी। FY26 में 7.2% ग्रोथ का अनुमान है।
उप-गवर्नर राजेश्वर राव ने NBFC सेक्टर में सुधार और डिजिटल लेंडिंग गाइडलाइंस में बदलाव के संकेत दिए।
विशेषज्ञों की राय: समय पर और जरूरी कदम
SBI के चीफ इकोनॉमिस्ट डॉ. सौम्या कांति घोष ने इसे “साहसी और समय पर लिया गया फैसला” बताया। उन्होंने कहा कि इससे भारत की ग्रोथ को गति मिलेगी।
Moody’s Analytics ने भी भारत की ग्रोथ आउटलुक को बेहतर बताया और RBI की नीति की सराहना की।
निष्कर्ष: RBI ने विकास को दी रफ्तार
RBI की यह नीति दर्शाती है कि वह ग्रोथ को प्राथमिकता दे रही है। गवर्नर मल्होत्रा के नेतृत्व में RBI अब और प्रभावी और पारदर्शी नीतियां अपनाने की दिशा में आगे बढ़ रहा है।
उम्मीद है कि आने वाले महीनों में लोन सस्ते होंगे, निवेश बढ़ेगा और इकोनॉमी को गति मिलेगी। यह रेट कट भारत की आर्थिक यात्रा में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है।

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