आयकर कानूनों की जटिलताओं को समझना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन प्रमुख धाराओं की जानकारी करदाताओं को सूचित वित्तीय निर्णय लेने और अपनी कर देनदारी को अनुकूलित करने में सशक्त बना सकती है। भारत में आयकर अधिनियम, 1961 कराधान को नियंत्रित करता है, और कुछ धाराएँ विशेष रूप से महत्वपूर्ण हैं। चाहे आप वेतनभोगी व्यक्ति हों, व्यवसायी हों, या फ्रीलांसर, इन धाराओं को समझने से आप पैसे बचा सकते हैं, अनुपालन सुनिश्चित कर सकते हैं, और जुर्माने से बच सकते हैं। इस ब्लॉग में, हम हर करदाता को समझने योग्य शीर्ष 5 आयकर धाराओं की खोज करेंगे ताकि कर योजना और फाइलिंग को सरल बनाया जा सके।
1. धारा 80C: निवेश और खर्चों पर कटौती
यह क्या है: धारा 80C आयकर अधिनियम की सबसे लोकप्रिय धाराओं में से एक है, जो विशिष्ट निवेशों और खर्चों पर प्रति वित्तीय वर्ष ₹1.5 लाख तक की कटौती प्रदान करती है। यह धारा करदाताओं के लिए कर योग्य आय को कम करने का एक प्रमुख साधन है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है: योग्य साधनों में निवेश या योग्य खर्चों के माध्यम से, आप अपनी कर देनदारी को काफी हद तक कम कर सकते हैं। यह धारा विशेष रूप से वेतनभोगी व्यक्तियों और पुराने कर शासन में रहने वालों के लिए प्रासंगिक है।
योग्य निवेश और खर्च:
- जीवन बीमा प्रीमियम: स्वयं, पति/पत्नी, या बच्चों के लिए जीवन बीमा पॉलिसियों के लिए भुगतान किए गए प्रीमियम।
- सार्वजनिक भविष्य निधि (PPF): PPF खातों में योगदान, जो कर-मुक्त ब्याज के साथ दीर्घकालिक बचत प्रदान करते हैं।
- इक्विटी-लिंक्ड बचत योजना (ELSS): तीन साल की लॉक-इन अवधि वाली म्यूचुअल फंड, जो कर बचत के साथ बाजार से जुड़े रिटर्न प्रदान करती हैं।
- गृह ऋण मूलधन भुगतान: गृह ऋण की EMI का मूलधन हिस्सा कटौती के लिए योग्य है।
- ट्यूशन फीस: भारत में दो बच्चों की शिक्षा के लिए भुगतान की गई फीस।
- अन्य: राष्ट्रीय बचत पत्र (NSC), 5-वर्षीय सावधि जमा, और सुकन्या समृद्धि योजना में निवेश भी योग्य हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव: धारा 80C के निवेश की योजना वित्तीय वर्ष की शुरुआत में बनाएं ताकि रिटर्न अधिकतम हो और अंतिम समय की जल्दबाजी से बचा जा सके। प्रत्येक विकल्प के लॉक-इन पीरियड और जोखिमों की जाँच करें।
2. धारा 80D: स्वास्थ्य बीमा प्रीमियम पर कटौती
यह क्या है: धारा 80D स्वास्थ्य बीमा पॉलिसियों के प्रीमियम और निवारक स्वास्थ्य जाँच पर कटौती प्रदान करती है। यह करदाताओं को चिकित्सा कवरेज लेने के लिए प्रोत्साहित करती है और साथ ही कर राहत प्रदान करती है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है: बढ़ती स्वास्थ्य सेवा लागत के साथ, स्वास्थ्य बीमा आवश्यक है, और धारा 80D कर योग्य आय को कम करके इसे प्रोत्साहित करती है। यह धारा व्यक्तियों और हिंदू अविभाजित परिवारों (HUF) पर लागू होती है, जो पुराने कर शासन में हैं।
कटौती की सीमा:
- स्वयं, पति/पत्नी, और आश्रित बच्चों के लिए प्रीमियम पर ₹25,000 तक।
- 60 वर्ष से कम आयु के माता-पिता के लिए प्रीमियम पर अतिरिक्त ₹25,000।
- वरिष्ठ नागरिक माता-पिता (60 वर्ष और अधिक) के लिए सीमा ₹50,000 तक।
- निवारक स्वास्थ्य जाँच के लिए ₹5,000 की उप-सीमा, कुल सीमा के भीतर।
महत्वपूर्ण सुझाव: कटौती का दावा करने के लिए प्रीमियम का भुगतान गैर-नकद मोड (जैसे ऑनलाइन बैंकिंग या क्रेडिट कार्ड) से करें। कर फाइलिंग के दौरान रसीदें और पॉलिसी दस्तावेज़ संभालकर रखें।
3. धारा 24: गृह ऋण ब्याज पर कटौती
यह क्या है: धारा 24 करदाताओं को स्व-निवास या किराए पर दी गई संपत्ति के लिए गृह ऋण पर भुगतान किए गए ब्याज पर कटौती का दावा करने की अनुमति देती है।
यह क्यों महत्वपूर्ण है: मकान मालिकाना एक बड़ी वित्तीय जिम्मेदारी है, और धारा 24 ब्याज भुगतान पर कर बोझ को कम करके राहत प्रदान करती है। यह विशेष रूप से पुराने कर शासन में गृह ऋण लेने वालों के लिए लाभकारी है।
कटौती की सीमा:
- स्व-निवास संपत्ति के लिए, प्रति वर्ष ₹2 लाख तक गृह ऋण ब्याज पर कटौती।
- किराए पर दी गई या डीम्ड किराए पर दी गई संपत्ति के लिए, पूरा ब्याज राशि कटौती योग्य है, हालांकि नुकसान को अन्य आय के साथ समायोजित करने की कुछ सीमाएँ हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव: इस कटौती का दावा करने के लिए, सुनिश्चित करें कि संपत्ति पूर्ण हो और आपको उसका कब्जा मिल चुका हो। निर्माण पूर्व अवधि में भुगतान किया गया ब्याज पाँच समान किश्तों में पूर्ण होने के वर्ष से दावा किया जा सकता है।
4. धारा 10(14): भत्तों पर छूट
यह क्या है: धारा 10(14) वेतनभोगी व्यक्तियों को प्राप्त विशिष्ट भत्तों पर कर छूट प्रदान करती है, जो कुछ शर्तों के अधीन है। ये भत्ते आमतौर पर नियोक्ताओं द्वारा कार्य-संबंधी खर्चों को कवर करने के लिए दिए जाते हैं।
यह क्यों महत्वपूर्ण है: कई वेतनभोगी करदाता अपने वेतन पैकेज के हिस्से के रूप में भत्ते प्राप्त करते हैं, और यह समझना कि कौन से भत्ते छूट योग्य हैं, कर योग्य आय को काफी हद तक कम कर सकता है।
सामान्य छूट योग्य भत्ते:
- मकान किराया भत्ता (HRA): निम्नलिखित में से न्यूनतम राशि तक छूट:
- प्राप्त वास्तविक HRA।
- किराया भुगतान माइनस मूल वेतन + महंगाई भत्ते का 10%।
- मेट्रो शहरों के लिए वेतन का 50% या गैर-मेट्रो शहरों के लिए 40%।
- यात्रा अवकाश भत्ता (LTA): आपके और आपके परिवार के लिए भारत के भीतर यात्रा खर्च को कवर करता है, विशिष्ट शर्तों के अधीन।
- अन्य भत्ते: वाहन भत्ता, दैनिक भत्ता, और वर्दी भत्ता, यदि आधिकारिक उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं, तो भी योग्य हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव: HRA के लिए किराया रसीदें या LTA के लिए यात्रा बिल जैसे उचित दस्तावेज़ रखें ताकि कर ऑडिट के दौरान दावों को सिद्ध किया जा सके।
5. धारा 192: वेतन पर स्रोत पर कर कटौती (TDS)
यह क्या है: धारा 192 नियोक्ताओं द्वारा वेतन पर स्रोत पर कर कटौती को नियंत्रित करती है। यह सुनिश्चित करती है कि आपकी आय स्लैब और घोषणाओं के आधार पर वेतन से कर काटा जाए।
यह क्यों महत्वपूर्ण है: वेतनभोगी व्यक्तियों के लिए, धारा 192 के तहत TDS वह प्राथमिक तंत्र है जिसके माध्यम से आयकर एकत्र किया जाता है। इस धारा को समझने से आप यह सत्यापित कर सकते हैं कि सही कर काटा जा रहा है और कर फाइलिंग के दौरान इसका क्रेडिट दावा कर सकते हैं।
मुख्य पहलू:
- नियोक्ता आपकी अनुमानित वार्षिक आय, जिसमें वेतन, भत्ते, और सुविधाएँ शामिल हैं, के आधार पर TDS की गणना करते हैं।
- आप धारा 80C या 80D के तहत निवेश के प्रमाण जमा करके TDS को कम कर सकते हैं।
- TDS लागू कर स्लैब दरों के अनुसार काटा जाता है, जो पुराने या नए कर शासन के आधार पर भिन्न हो सकते हैं।
महत्वपूर्ण सुझाव: अपने नियोक्ता द्वारा जारी फॉर्म 16 की समीक्षा करें ताकि TDS कटौती की सटीकता सुनिश्चित हो और इसे अपनी कर रिटर्न के साथ मिलान करें। यदि आप नौकरी बदलते हैं, तो पिछले TDS को ध्यान में रखने के लिए नए नियोक्ता को फॉर्म 12B प्रदान करें।
इन धाराओं को समझना क्यों महत्वपूर्ण है
इन पाँच आयकर धाराओं—80C, 80D, 24, 10(14), और 192—को समझना आपके कर योजना के दृष्टिकोण को बदल सकता है। ये धाराएँ निवेश, स्वास्थ्य बीमा, गृह ऋण, वेतन भत्ते, और TDS जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को कवर करती हैं, जो आपके वित्तीय स्वास्थ्य को सीधे प्रभावित करते हैं। इन प्रावधानों का लाभ उठाकर, आप:
- कर बचत को अधिकतम करें: कटौतियों और छूटों के माध्यम से अपनी कर योग्य आय को कम करें।
- अनुपालन सुनिश्चित करें: जुर्माने से बचने के लिए TDS और फाइलिंग आवश्यकताओं को समझें।
- स्मार्ट योजना बनाएं: निवेश और खर्चों के बारे में सूचित निर्णय लें।
करदाताओं के लिए कार्रवाई योग्य कदम:
- अपने वित्त की समीक्षा करें: अपनी आय, खर्च, और निवेश का आकलन करें ताकि योग्य कटौतियाँ पहचानी जा सकें।2. सही कर शासन चुनें: पुराने और नए कर शासनों की तुलना करें ताकि यह निर्धारित हो कि आपके लिए कौन सा अधिक बचत प्रदान करता है।
- कर पेशेवर से परामर्श करें: जटिल मामलों में, अपनी कर रणनीति को अनुकूलित करने के लिए विशेषज्ञ सलाह लें।
- अपडेट रहें: कर कानून बदलते रहते हैं, इसलिए बजट घोषणाओं और संशोधनों पर नजर रखें।
निष्कर्ष
प्रमुख आयकर धाराओं को समझना आपको अपनी वित्तीय स्थिति पर नियंत्रण रखने और कानूनी रूप से कर बोझ को कम करने की शक्ति देता है। धारा 80C, 80D, 24, 10(14), और 192 भारत में अधिकांश करदाताओं के लिए कर योजना की आधारशिला हैं। इन प्रावधानों से परिचित होने से, आप रणनीतिक निर्णय ले सकते हैं, अनुपालन सुनिश्चित कर सकते हैं, और वित्तीय शांति प्राप्त कर सकते हैं।
जल्दी योजना बनाना शुरू करें, उचित दस्तावेज़ बनाए रखें, और आवश्यकता पड़ने पर कर पेशेवर से परामर्श करें। आयकर अधिनियम में अपडेट्स के बारे में जानकारी रखें ताकि उपलब्ध लाभों का अधिकतम उपयोग किया जा सके।
अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
प्रश्न 1: धारा 80C के तहत सबसे अच्छा निवेश कौन सा है?
उत्तर: यह आपकी जरूरतों पर निर्भर करता है, लेकिन PPF, ELSS म्यूचुअल फंड और जीवन बीमा पॉलिसी सबसे अच्छे और सुरक्षित विकल्प माने जाते हैं।
प्रश्न 2: क्या हेल्थ इंश्योरेंस पर टैक्स छूट हर साल मिलती है?
उत्तर: हां, अगर आपने सालाना प्रीमियम भरा है तो हर वित्तीय वर्ष में धारा 80D के तहत टैक्स छूट का लाभ लिया जा सकता है।
प्रश्न 3: क्या मैं एक से ज्यादा सेक्शन का फायदा एक साथ ले सकता हूं?
उत्तर: बिल्कुल, आप 80C, 80D, 24(b), 10(14) और 87A जैसी सभी धाराओं का फायदा एक साथ ले सकते हैं, अगर आप उनकी पात्रता शर्तें पूरी करते हैं।
प्रश्न 4: क्या किराए पर रहने वाला व्यक्ति HRA का लाभ ले सकता है?
उत्तर: हां, अगर आपकी सैलरी में HRA शामिल है और आप वास्तव में किराए के मकान में रहते हैं, तो आप धारा 10(14) के तहत छूट क्लेम कर सकते हैं।
प्रश्न 5: धारा 87A का लाभ कौन ले सकता है?
उत्तर: धारा 87A का लाभ सिर्फ उन्हीं व्यक्तियों को मिलता है जिनकी टैक्स योग्य आय ₹7 लाख या उससे कम होती है, और वे

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