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सूचीबद्ध कंपनियों के नकद और बैंक बैलेंस ने FY25 में ₹10 लाख करोड़ का आंकड़ा पार किया – भारत की कॉर्पोरेट मजबूती का प्रमाण

सूचीबद्ध कंपनियों

जैसे-जैसे वित्त वर्ष 2025 (FY25) आगे बढ़ रहा है, भारत की कॉर्पोरेट दुनिया ने अपनी मजबूत वित्तीय स्थिति का परिचय दिया है। हालिया आंकड़ों के अनुसार, देश की सूचीबद्ध कंपनियों के नकद और बैंक बैलेंस ₹10 लाख करोड़ के ऐतिहासिक आंकड़े को पार कर चुके हैं। यह उपलब्धि भारतीय कंपनियों की रणनीतिक समझ, मुनाफे की वृद्धि और बेहतर पूंजी प्रबंधन को दर्शाती है।


कॉर्पोरेट नकदी में जबरदस्त बढ़ोतरी

ACE इक्विटीज के अनुसार, BSE 500 कंपनियों (बैंकिंग, वित्तीय सेवा और इंश्योरेंस, तथा ऑयल व गैस सेक्टर को छोड़कर) के पास 30 सितंबर 2024 तक ₹7.68 लाख करोड़ की नकद राशि थी। यह आंकड़ा कोविड-19 महामारी से पहले की तुलना में 51% अधिक है, जब कुल नकद राशि लगभग ₹5.06 लाख करोड़ थी।

विश्लेषकों के अनुसार, इस वृद्धि के पीछे कई कारण हैं जैसे शेयर बाजार में तेजी, क्यूआईपी और आईपीओ के माध्यम से पूंजी जुटाना, प्रीमियम उत्पादों की बढ़ती मांग, डिजिटलीकरण से मुनाफे में वृद्धि, उद्योगों का विलय और बेहतर संचालन।

साथ ही, FY24 में सूचीबद्ध कंपनियों का संचालन से नकद प्रवाह (Cash Flow from Operations) ₹11.1 लाख करोड़ के रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया, जो साल-दर-साल 19.3% की बढ़ोतरी दर्शाता है। यह बेहतर लाभप्रदता और वर्किंग कैपिटल प्रबंधन का संकेत है।


कौन-कौन से सेक्टर सबसे आगे रहे?

1. बैंकिंग सेक्टर

HDFC बैंक ने FY25 की दूसरी तिमाही में 15% की वृद्धि के साथ ₹25 लाख करोड़ की जमाओं की रिपोर्ट दी है। बैंक के फिक्स्ड डिपॉजिट ₹16.16 लाख करोड़ तक पहुंच गए हैं, जिसमें सालाना 19.3% की बढ़ोतरी हुई।

2. सरकारी बैंक (PSBs)

FY25 की पहली छमाही में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने 11% की सालाना वृद्धि के साथ ₹236.04 लाख करोड़ का कुल कारोबार किया। साथ ही, कुल मुनाफा 25.6% बढ़कर ₹85,520 करोड़ हो गया। NPA (गैर-निष्पादित संपत्ति) में भी गिरावट दर्ज की गई है।

3. कॉर्पोरेट सेक्टर

कॉर्पोरेट कंपनियों ने QIP (Qualified Institutional Placement) के माध्यम से FY25 में ₹1.33 लाख करोड़ जुटाए, जिसमें वेदांता ग्रुप और जोमैटो जैसी कंपनियों ने अकेले ₹8,500 करोड़ तक जुटाए।


इतनी नकदी का उपयोग कहां हो रहा है?

यह नकदी सिर्फ सुरक्षित रखने के लिए नहीं है, बल्कि कंपनियां इसका इस्तेमाल आगे के विस्तार और विकास के लिए भी कर रही हैं:

1. पूंजीगत व्यय (Capex)

सितंबर 2024 तक 12 महीनों में सूचीबद्ध कंपनियों ने ₹10 लाख करोड़ से अधिक का पूंजीगत व्यय किया, जो 18% की सालाना वृद्धि है। यह खर्च मेटल, ऊर्जा, टेलीकॉम और इंडस्ट्रियल सेक्टर में हुआ है।

2. विलय और अधिग्रहण (M&A)

कंपनियां अपनी बैलेंस शीट की ताकत का उपयोग अधिग्रहण के लिए कर रही हैं, खासकर सोलर, क्लाउड टेक्नोलॉजी और फार्मा जैसे उभरते क्षेत्रों में।


भारत की अर्थव्यवस्था पर असर

इस नकद भंडार का देश की आर्थिक स्थिति पर कई सकारात्मक प्रभाव हैं:

  • आर्थिक स्थिरता: नकदी से संपन्न कंपनियां अस्थिर आर्थिक हालातों से बेहतर निपट सकती हैं और निवेश बढ़ा सकती हैं।
  • इन्फ्रास्ट्रक्चर में निवेश: कंपनियां बड़ी परियोजनाओं में निवेश कर सकती हैं, जिससे रोजगार और विकास को बल मिलेगा।
  • बेहतर क्रेडिट रेटिंग: नकदी की उपलब्धता से कंपनियों की साख बढ़ती है और कम ब्याज दर पर कर्ज मिल सकता है।

निष्कर्ष

₹10 लाख करोड़ का नकद और बैंक बैलेंस पार करना भारतीय कॉर्पोरेट दुनिया की वित्तीय समझदारी और मजबूती का प्रमाण है। यह नकदी उन्हें न केवल संकट से निपटने में मदद करेगी, बल्कि भविष्य की वृद्धि की दिशा में निवेश करने का भी अवसर देगी। जैसे-जैसे कंपनियां इस फंड का इस्तेमाल विस्तार, अधिग्रहण और तकनीकी नवाचार में करेंगी, भारत की आर्थिक यात्रा और भी तेज़ गति से आगे बढ़ेगी।